शिक्षाप्रद कहानी: कैसी विवशता?
कई वर्षों के बाद इतनी भीषण गर्मी पड़ रही थी । सभी लोग परेशान थे । इस वृद्धि की अचानक आंख खुली, तो उन्होंने खुद को पसीने में तर बतर पाया । शायद बिजली जा चुकी थी । पर उनकी पत्नी बीमारी की वजह से अभी भी सोई पड़ी थी । ‘बेटा राकेश, इनवर्टर चालू कर देना ।’ एक मार्मिक स्वर उभरा ।’
साथ ही बुढ़िया की भयंकर खांसी से वातावरण गूंज उठा । पिछले कई दिनों से बृद्धा की हालत ठीक नहीं थी । ‘बैटरी काम नहीं कर रही । मैंने ही आपके कमरे का स्विच ऑफ किया है । सिर्फ एक कमरे में ही पंखा चल सकता है और हमें टीवी भी तो देखनी है ।’ राकेश की गुस्से में आवाज गूंजी ।
‘बेटा, बहुत गर्मी लग रही है । तेरी मां की तबीयत भी… ।’ बस वह बृद्ध इतना ही बोल पाए थे कि तभी राकेश दान दनाता हुआ कमरे में दाखिल हुआ और लगभग चिल्लाते हुए अपने पिताजी से बोला, ‘आपको शर्म नहीं आती, उधर आपकी बहू और बच्चे गर्मी से तड़प रहे हैं और आपको अपनी पड़ी है । प्लीज, अब डिस्टर्ब मत करिएगा । हम टीवी देख रहे हैं ।’ फिर राकेश चला गया और पंखे की हवा में बैठकर मनोरंजन करने लगा । विवशता वश उन वृद्ध ने अपनी पत्नी के कान में कुछ कहा और दोनों धीरे धीरे चल पड़े । थोड़ी देर के बाद दोनों बुजुर्ग दंपत्ति घर के पास स्थित एक पार्क में बैठे थे और अपनी विवशता पर आंसू बहा रहे थे ।
शिक्षाप्रद कहानी: दहेज प्रथा के खिलाफ मिला संदेश
बात कई साल पहले की है । तब दहेज प्रथा काफी ज्यादा थी । पर एक बार की घटना ने जो संदेश दिया, वह आज भी याद है । हमारे गांव में एक व्यक्ति के लड़के की शादी तय हुई । निश्चित दिन बारात लड़की वालों के घर पहुंची । वहां हमारा जोरदार स्वागत हुआ और पूरे विधि-विधान से शादी संपन्न हो गई ।
सुबह नाश्ते के बाद बारात के विदा होने का समय आ गया । लड़की की विदाई भी होनी थी । लड़की के पिताजी, लड़के के पिताजी के पास आए और बोले, ‘ये लीजिए कार की चाबी । दूल्हा और दुल्हन कार में बैठकर जाएंगे । अब यह कार आपकी है ।’ यह सुनकर लड़के के पिता अचरज में पड़ गए । फिर वह हंसते हुए बोले, ‘कार देने की बात तो हमने की ही नहीं थी । फिर यह कार क्यों दे रहे हैं?’ अब शून्य होने की बारी लड़की के पिता की थी, ‘शादी तय करते समय कार देने की बात नहीं थी । यह आप ठीक कह रहे हैं । मगर मेरी पत्नी व बेटे की इच्छा है कि दूल्हा-दुल्हन कार से ही विदाई ले । यह बात हम लोगों के ने बाद में तय की थी ।’ लेकिन यह ठीक नहीं है और फिर इसे चलाएगा कौन? हमारे पास तो कोई ऐसा आदमी नहीं है ।’ लड़के के पिताजी का टालने वाला जवाब था । पर लड़की के पिता भी जैसे तैयार थे । ‘आप बिल्कुल फिक्र ना करें, हम ड्राइवर भी देंगे । वह आपको छोड़ कर आ जाएगा ।’ मुस्कुराते हुए वह बोले ।
पर लड़की के पिता ने यह कहते हुए चाबी वापस कर दी कि घबराइए नहीं, आप की बेटी हमेशा खुश रहेगी । लड़की के पिता को मजबूरन कार वापस लेनी पड़ी । पूरे गांव में लड़के वालों की खूब प्रशंसा हुई । यह पूरे समाज के लिए अच्छा संदेश भी था ।